फर्रुखाबाद| कोविड-19 का संक्रमण धीरे-धीरे कम हो रहा है, इसके साथ ही सर्दी ने भी दस्तक दे दी है। सर्दी का मौसम शुरू होने के साथ ही सर्दी, जुकाम , बुखार के साथ निमोनिया का खतरा भी बढ़ जाता है। यदि ध्यान न दिया जाये तो निमोनिया गंभीर भी हो सकता है। निमोनिया की रोकथाम व बचाव के लिए विश्व स्तर जागरूकता के लिए हर वर्ष 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। कोविड-19 के साथ ही निमोनिया होने पर खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है | इसको देखते हुए आवश्यकता है कि समय रहते निमोनिया को पहचान कर उसका उपचार कराया जाए। यह कहना है जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ प्रभात वर्मा का।
डॉ प्रभात ने बताया कि निमोनिया का सबसे ज्यादा खतरा नवजात, छोटे बच्चों और वृध्धों को होता है। नवजात और छोटे बच्चे अपनी परेशानी के बारे में खुलकर नहीं बता सकते इसलिए छोटे बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को पहचानना बहुत ही जरूरी है। यदि समय रहते निमोनिया के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो अनेक बच्चों की जान बचाई जा सकती है। लगभग 16 प्रतिशत बच्चे को न्युमोकॉकल जीवाणु प्रभावित करता है जिससे बचाव के लिए जनपद में सभी स्वास्थ्य केन्द्रों और टीकाकरण सत्रों के माध्यम से पी.सी.वी. टीका दिया जाता है ।
डॉ. प्रभात ने कहा कि बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए सम्पूर्ण टीकाकरण कराना बहुत जरुरी है। डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में तैनात डॉ शिवाषीश उपाध्याय ने ओपीडी के दौरान आने वाले मरीजों को निमोनिया के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि निमोनिया की बीमारी में फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। ऐसे में तरल पदार्थ या फिर मवाद भरने से कफ, बुखार, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। वक्त पर अगर इसका इलाज मिल जाए तो मरीज ठीक हो जाता है, लेकिन थो़ड़ी भी लापरवाही होने की सूरत में मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। कई बार यह बीमारी जानलेवा हो जाती है।
डॉ शिवाषीश ने बताया कि जब से बच्चों को डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह पर निमोनिया से बचाने के लिए टीकाकरण होने लगा है तब से इनके मामलों में कमी आई है। अब मुश्किल से 15 से 20 प्रतिशत ही बच्चे निमोनिया से ग्रसित आते हैं।
बच्चों में निमोनिया के प्रमुख लक्षण –
छोटे बच्चों में सांस तेज चलना, साँस लेने में परेशानी, साँस लेने के साथ घुरघुराहट की आवाज़ आना, खाँसी, बुखार, साँस लेते समय पसलियों का अन्दर की तरफ धंसना आदि निमोनिया के लक्षण हैं।
निमोनिया से बचाव के लिए और संक्रमण होने पर भी नवजात व बच्चों को स्तनपान कराते रहें और गर्माहट देते रहें।
वयस्कों में निमोनिया के लक्षण –
साँस लेते समय या खांसते समय सीने में दर्द होना, साँस लेने में परेशानी, खांसी के साथ बलगम का आना , बुखार होना, पसीना आना और ठण्ड लगना, उलटी-मितली होना, दस्त होना आदि।
वयस्क लोगों में यदि निमोनिया या जुकाम आदि के लक्षण दिखायी दें तो तीन दिन तक ठीक न हों तो तुरंत चिकित्सक को दिखा कर उपचार लेना चाहिए।
घरेलू उपचार में काढ़ा और भाप आराम दे सकता है पर वर्तमान में कोरोना के खतरे को देखते हुए सर्दी-जुखाम, बुखार व निमोनिया के लक्षण होने बार लापरवाही करना घातक हो सकता है, ऐसे में चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार ही उपचार करना चाहिए। संक्रमण से बचाव के लिए ज़रूरी है कि अपने हाथों को नियमित साबुन व पानी से धोएं और मास्क का प्रयोग करें, इससे कोरोना और निमोनिया दोनों से बचाव होगा।
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