The fastival of Navratri नवरात्रि पर्व विकारों पर विजय दुर्गुणों के नाश और विवेक हीनता को त्यागने का पर्व है।आज आवश्यकता है हम अपने शक्ति स्वरूप को पहचान कर सर्वशक्तिमान परमात्मा से संबंध जोड़ कर सच्चे अर्थों में नवरात्रि पर्व मनाएं।उक्त विचार ब्रह्मा कुमारी प्रीति बहन ने ब्रह्माकुमारीज के सिविल लाइंस केंद्र पर नवरात्रि पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए।उन्होंने नारी शक्ति का आवाहन करते हुए कहा कि हम यह भूल जाते हैं कि अपने देश में शुरू से ही मातृशक्ति की प्रधानता रही है।विद्या धन और शक्ति प्राप्त करने के लिए पुरुष वर्ग माता सरस्वती माता लक्ष्मी और मां दुर्गा की उपासना करता रहा है।हम अपने अंदर माता रानी के समान रहम दिल करुणा वात्सल्य निस्वार्थ प्रेम निर्भयता शांति आनंद आदि जीवन मूल्यों को विकसित करें जिससे हम भी मां दुर्गा की भांति जगत वंदनीय बन सके।
केंद्र प्रभारी ब्रह्मा कुमारी नीलम बहन ने बताया कि माता रानी के 108 नाम उनके गुणों व कर्तव्यों पर आधारित है। दुर्गा दुर्गतिनाशिनी काली कालजई कमलासना माता लक्ष्मी का आसन हमें निष्काम भाव से जीवन जीने की प्रेरणा देता है शेर की सवारी अपने क्रोध और आसुरी वृत्तियोंपर विजय का प्रतीक है।वास्तव में मन को परमात्मा पर समर्पित करने से सारी शक्तियां अलंकारों के रूप में हम आत्माएं प्राप्त कर सकती हैं।उन्होंने कहा कि नवरात्रि पर हम संकल्प लें कि जैसे माता रानी सदा कल्याणकारी है हम भी अपने अंदर विश्वकल्याण का भाव रखे। इस अवसर पर माता रानी की मनमोहक झांकी भी सजाई गई।उपस्थित भाई बहनों ने माता रानी की भेंटे गाकर वातावरण को भक्तिमय कर दिया।कन्या पूजन करके उन्हें चुनरी उड़ा कर भेट दी गई।कुमारी यशी सक्सेना मोनिका यादव सृष्टि मिष्ठी ने अपने भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किए।प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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