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श्रद्धा के बिना अधूरा है ‘श्राद्ध’ पितर पक्ष में श्रद्धापूर्वक करे ये काम तभी मिलेगा पिंडदान का लाभ

  • पितर पक्ष में  श्राद्ध का अर्थ  ‘श्रद्धापूर्वक।’ हमारे संस्कारों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने को ही श्राद्ध कहा जाता है
  • पिंडदान करने के लिए हरिद्वार और गया को सर्वोत्तम माना गया है

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष (श्राद्ध) को अहम माना गया है। श्राद्ध का अर्थ होता है ‘श्रद्धापूर्वक।’ हमारे संस्कारों और पूर्वजों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने को ही श्राद्ध कहा जाता है।  पितर पक्ष में लोग अपने पूर्वजों को याद कर उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करते हैं।

हिन्दू धर्म में मृत्यु के पश्चात् पितरों की याद में श्राद्ध किया जाता है और उनकी मृत्यु की तिथि के अनुसार ही श्राद्ध की तिथि निर्धारित की जाती है। पिंडदान करने के लिए हरिद्वार और गया को सर्वोत्तम माना गया है।

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में यमराज आत्मा को मुक्त कर देते हैं ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। मान्यता है कि यदि पितर खुशी-खुशी वापस जाते हैं तो अपने वंशजों को दिए गए उनके आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।

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