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भाजपा सरकार में अल्पसंख्यकों को सही मायने में मिला है सम्मान- डॉ. अरशद मंसूरी

फर्रुखाबाद : हमारे देश में जाति-धर्म के बंधन चाहे कितने मजबूत क्यों न कहे जाते हों, समाज से कई ऐसे लोग सामने आते हैं जो कट्टरपंथियों को आइना दिखा जाते हैं। उनके कामों को देश और समाज (Society) में स्वीकृति भी मिलती है जो इस बात का प्रतीक हैं कि आपसी भाईचारा, सर्वधर्म समभाव और सहिष्णुता की जड़ें यहां कितनी गहरी हैं। जिसकी मिसाल बने इस साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले अयोध्या के पद्मश्री मोहम्मद शरीफ चाचा व झारखंड की विख्यात हस्ति नागपुरी गीतकार मधु मंसूरी हंसमुख।

बुजुर्ग समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को लावारिस लाशों के मसीहा के तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने पिछले 25 वर्षों में 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। वहीं नागपुरी गीतों के राजकुमार कहे जाने वाले मधु मंसूरी हंसमुख अपने गीत और मधुर आवाज के लिए देश-विदेश में बेहद मशहूर हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने गीतों के जरिए झारखंड को एक अलग पहचान दिलाने के साथ सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव में अहम भूमिका निभाई है।

इस वर्ष राष्ट्रपति द्वारा 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। जिनमे से 7 पद्म विभूषण, 10 पद्म भूषण और 102 पद्मश्री सम्मान हैं। पद्म पुरस्कार पाने वालों को देश के प्रथम मुस्लिम देहदानी, मंसूरी सोसाइटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाजपा कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यसमिति सदस्य व कन्नौज के जिला प्रभारी डॉ. अरशद मंसूरी ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में सबका साथ सबका विकास हुआ है।

भाजपा सरकार में समाज के हर वर्ग को सम्मान दिया जा रहा है। विपक्षी दल सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए वोट की राजनीति करते रहे, सही मायने में अल्पसंख्यकों को सम्मान भाजपा सरकार में मिला है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में किसी एक विशेष वर्ग के लिए नहीं बल्कि सभी वर्गों के उत्थान के लिए कार्य हुए हैं। डॉ. अरशद मंसूरी ने मंसूरी समाज से ताल्लुक रखने वाले चाचा मोहम्मद शरीफ मंसूरी व मधु मंसूरी हंसमुख को भारत सरकार द्वारा पदमश्री अवार्ड दिए जाने पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार प्रकट कर कहा कि इस बार सामाजिक और कर्मक्षेत्र में कामयाबी एवं विशिष्टता हासिल करने वाले और लोगों के लिए प्रेरणा बने 141 लोगों को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

जिसमें खास बात यह है कि पद्म पुरस्कार पाने वाले इन विभूतियों में एलीट वर्ग और खिलाड़ियों से लेकर समाज के सबसे निचले तबके के विशिष्ट लोग शामिल हैं।सम्मानित होने वाली इन विभूतियों में मैला ढोने का काम कर चुकीं ऊषा चोमर शामिल हैं तो छोटी सी दुकान में संतरा बेचने वाले हरकेला भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी गरीबी और मजबूरी को पीछे छोड़ते हुए समाज के लिए बड़ा काम किया।

डॉ. अरशद मंसूरी ने कहा कि मोहम्मद शरीफ चाचा पेशे से साइकिल मिस्त्री हैं। मोहम्मद शरीफ पिछले 27 साल से हर धर्म के लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वह किसी की भी लाश को फेंकने नहीं देते। इस काम में वे न तो जाति का बंधन देखते हैं न धर्म का। हिंदुओं का सरयू घाट पर और मुसलमानों को कब्रिस्तान में वह अंतिम संस्कार करते हैं। लिहाजा, वह अबतक 25 हजार से अधिक हिंदू और मुसलमानों को अंतिम संस्कार कर चुके हैं।

बता दें कि मोहम्मद शरीफ़ चाचा का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था। सुल्तानपुर में उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया। बहुत खोजने पर भी लाश नहीं मिली। इसके बाद से ही शरीफ चाचा ने लावारिश लाशों को ढूंढने और उसके अंतिम संस्कार का प्रण ले लिया। तब से आजतक लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार करने का कार्य अनवरत शरीफ चाचा कर रहे हैं।

वहीं, मधु मंसूरी हँसमुख ने गीतों से सांस्कृतिक बदलाव की मशाल जलाई है। सांस्कृतिक नवजागरण और झारखंड आंदोलन में अपने गायन से लोगों में उत्साह का संचार करने वाले मधु मंसूरी हँसमुख जब 17-18 महीने के थे, तभी उनकी मां का निधन हो गया था। उसके बाद एक अहीर महतो के कहने पर सुरा से जान बची और गांव वालों के कहने पर मधुआ से मधु हो गए। दसवीं तक की पढ़ाई करने वाले मधु मंसूरी का पहले नाम मधुआ था।

वह जिस मुस्लिम समुदाय से आते हैं, वहां मंसूरी सरनेम की परंपरा है। मारवाड़ी स्कूल के एक शिक्षक कुलदीप सहाय ने उपनाम हंसमुख दे दिया। इस तरह से वह मधु मंसूरी हंसमुख हो गए। साल 1956 में 2 अगस्त को रातू प्रखंड में भवन का शिलान्यास कार्यक्रम था। तब मधु मंसूरी हंसमुख महज आठ साल के थे और उन्हें इस कार्यक्रम में गीत गाने का मौका मिला था। उनके गीत से खुश होकर रातू महाराज चिंतामणि शरणनाथ शाहदेव ने उन्हें 10 रुपये का इनाम दिया था।

साल 1976 में रामगढ़ के केदला कोलियरी में एक कार्यक्रम के दौरान जब उन्होंने गीत गाया, तब गुरु जी ने कहा था “हमर तीर के धार और रउरे गीत से अलग राज्य बनेगा झारखंड।” डॉ. अरशद मंसूरी ने कहा कि झारखंड के जल, जंगल, जमीन, पलायन और राज्य की नौ भाषाओं के संवर्धन सहित कई मुद्दों को अपने गायन के माध्यम से उठाने वाले मधु मंसूरी हंसमुख व हजारों लाशों के अंतिम संस्कार कर चुके अयोध्या के मोहम्मद शरीफ चाचा देश के साथ ही मंसूरी समाज के लिए गौरव हैं। जिनके कृत्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

फोटो: परिचय-वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. अरशद मंसूरी व राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित मोहम्मद शरीफ चाचा एवं मधु मंसूरी हंसमुख

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