कुशीनगर । शराब तस्करों से सांठगांठ कर मोटी कमाई करने वाली जिले के पटहेरवा पुलिस के कारनामों ने बुजुर्गों की वह फलसफा ” पुलिस की न दोस्ती अच्छी और न दुश्मनी अच्छी।” कहावत को चरितार्थ कर दिया है। मतलब यह कि पटहेरवा थाने के एसआई पीएन सिंह ने पत्रकार शम्भू सिंह की दोस्ती का
सिला यह दिया कि अपना और अपने जमातियो का दामन बचाने के लिए पत्रकार को ही शराब तस्कर बनाकर जेल भिजवा दिया। सूबे के ईमानदार व यशस्वी मुख्यमंत्री योगी सरकार मे एक निर्दोष कलमकार को पुलिस द्वारा फसाकर जेल भेजने के मामले मे पुलिस महकमा की जहा चहुहोर थू-थू हो रही है। वही खाकी के इस कारनामे से सरकार की छिछालेदर भी कम नही हो रही है। ऐसे मे यह कहना गलत नही होगा कि योगी सरकार की छवि बिगाड़ने मे पटहेरवा पुलिस कोई कसर नही छोड रही है।
काबिलेगोर है कि पुलिस कप्तान से लगायत सूबे के हुक्मरान पुलिस की छवि सुधारने के लिए जनता-पुलिस समन्वय स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे है। वही जनपद के पटहेरवा पुलिस दोस्ती और विश्वास का गला घोटकर पुलिस की फिरंगियों वाली अपनी पुरानी छवि को बरकरार रखकर समाज मे खौफ कायम करना चाहती है। कहना ना होगा कि तस्करो से सांठगांठ को लेकर हमेशा विवादो मे रहने वाली पटहेरवा पुलिस की इस नई करतूत ने उसके दामन पर बदनामी का एक और तमगा लगा दिया है। पुलिस शराब तस्करों व विभाग के आस्तीन मे छिपे सपोलो के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय एक पत्रकार को ही तस्कर बनाकर जेल भेज दिया। चर्चा-ए-सरेआम है कि जितनी तत्परता से पुलिस ने एक पत्रकार को तस्कर बनाकर जेल भेजी है। उतनी ही तत्परता से पुलिस अपने विभाग के उस मठाधीश के खिलाफ कार्रवाई करती जिसके आवास से छापेमारी के दौरान शराब की पेटी बरामद हुई थी तो शायद आज खाकी की शान मे कसीदे गढे जाते।
गौरतलब हो कि बीते दिनो मंगलवार को पटहेरवा बाजार मे इस बात की चर्चा जोरो पर रही कि पटहेरवा थाने के एसआई पीएन सिंह के आवास से स्वाट टीम ने उस समय बड़ी मात्रा में शराब पकडा था। जब वहा उपनिरीक्षक और पत्रकार शम्भू मौजूद थे। चूकि शराब खाकी के आवास से खाकी ने बरामद किया। जिसका शम्भू सिंह चश्मदीद था। लिहाजा मौके की नजाकत को देखते हुए पटहेरवा पुलिस व स्वाट टीम ने अपने उपर के अधिकारियों को मामले की जानकारी देते हुए खाकी को दागदार होने से बचाने के लिए पल भर मे नयी स्क्रीप्ट गढ दी। ऐसा आम लोगो मे चर्चा है। चर्चा यह भी है कि स्वाट टीम ने उपनिरीक्षक व मुशी को हिरासत मे लेना चाहती थी लेकिन थाने के बडे साहब की ऊची पहुच के वजह से स्वाट टीम की एक न चली। इस बात मे कितनी सच्चाई है। यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन उसके बाद पुलिस ने जो कहानी गढी उसमे पीएन सिंह के साथ उनके आवास पर बैठे पत्रकार शम्भू सिंह शराब तस्कर बन गये। जिसका खुलासा पत्रकार ने तरयासुजान मे आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान चिल्ला चिल्ला कर किया। इस दौरान एक वरिष्ठ पत्रकार ने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए निर्दोष पत्रकार को फर्जी तरीके से शराब तस्कर बनाये जाने का खुला विरोध भी किया था लेकिन किसी जिम्मेदार ने उस वरिष्ठ पत्रकार की एक न सुनी, ऐसा प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है। बताया जाता है कि दरोगा के आवास से बरामद किये गये शराब को तरयासुजान पुलिस ने अपने क्षेत्र से बरामद दिखाकर पत्रकार शम्भू सिंह सहित तीन लोगो की गिरफ्तारी दिखाकर जेल भेज दिया। जबकि सूत्रो का कहना है कि चर्चित उपनिरीक्षक तस्करों से बरामद शराब की बड़ी मात्रा में शराब छिपा लेता था और थोड़ी मात्रा में शराब बरामदगी दिखता था।बाकी बचे शराब को अपने गिरोह के सदस्यों के माध्यम से तस्करों के हाथ बेंच देता था।आरोप तो यह भी है कि यह अवैध शराब की तस्करी केवल उपनिरीक्षक अपने दम पर नही करता था। उसके इस अवैध कारोबार मे थाने के जिम्मेदार लोग भी शामिल थे। लेकिन विभाग की बदनामी न हो इस लिए पूरे प्रकरण पर ही पर्दा डाल दिया गया। इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच हो तो पटहेरवा पुलिस का असली चेहरा सामने आ जायेगा। शराब व पशु तस्करी का एक बहुत बड़ा रैकेट बेनकाब होगा।
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