योगी सरकार में हत्या और रेप पीड़ित एससी-एसटी परिवारों को 1447 करोड़ की वित्तीय मदद
लखनऊ । उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हत्या, बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की पीड़िताओं को साढ़े सात वर्षों में 1447 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी है। यह सहायता अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989) और नागरिक अधिकार संरक्षण (पीसीआर) अधिनियम के तहत प्रदान की जाती है। अपराध की गंभीरता के आधार पर वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ितों और उनके परिवारों को जरूरत पर सरकार की तरफ से मदद मिले। केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार यह सहायता 85,000 रुपये से 8.25 लाख रुपये तक होती है।
समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने शुक्रवार को बताया कि राज्य सरकार का उद्देश्य पीड़ितों और उनके परिवारों को समय पर आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करना है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया के दौरान उन्हें सहायता मिल सके। इस पहल के तहत सरकार यह सुनिश्चित करती है कि परिवारों को जांच और परीक्षण के महत्वपूर्ण बिंदुओं के आधार पर आवश्यक सहायता मिले।
विभिन्न अपराधों से पीड़ित एससी-एसटी की महिलाओं को न्याय मिले, इसके लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला सतर्कता व मॉनीटरिंग समिति कार्य करती है, जबकि तहसील स्तर पर उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में उपखंड स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की व्यवस्था की गई है।
हत्या या अत्याचार के कारण मृत्यु होने पर परिजनों को 8.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिलती है। इसमें मुआवजा दो चरणों में वितरित किया जाता है। 50 प्रतिशत राशि पोस्टमार्टम के तुरंत बाद और शेष 50 प्रतिशत औपचारिक रूप से अदालत में चार्जशीट जमा होने के बाद प्रदान की जाती है।
कुमार प्रशांत ने बताया कि बलात्कार या सामूहिक बलात्कार (धारा 375, भारतीय दंड संहिता) के मामले में पीड़ित 5.25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता के हकदार हैं। कानूनी प्रक्रिया के दौरान यह सहायता चरणबद्ध तरीके से प्रदान की जाती है।
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