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नाबालिग का अपहरण कर किया दुष्कर्म पुलिस ने आरोपी को धर दबोचा

UP Crime news उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक नाबालिग किशोरी का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने के आरोपी युवक को स्थानीय अदालत ने 20 वर्ष का कारावास और जुर्माना लगाने की सजा सुनायी है।मथुरा के अपर सत्र न्यायाधीश (स्पेशल जज पाक्सो ऐक्ट) हरविन्दर सिंह ने आरोपी रॉकी को नाबालिग का अपहरण कर महाराष्ट्र ले जाने और उसकी मर्जी के बिना जबरन शारीरिक संबंध बनाने के आरोप सिद्ध होने पर यह सजा सुनायी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार मथुरा जिले के मगोर्रा गांव में राॅकी पुत्र करन ने 29 अगस्त 2019 को दोपहर गांव की एक नाबालिग किशोरी काे नशीला पदार्थ खिलाकर उस समय अपहरण किया जब उसके माता पिता घर पर नहीं थे। जब उसे होश आया तो उसने अपने आप को रेलगाड़ी के एक डिब्बे में पाया।
अभियोजन पक्ष का यह भी आरोप है कि नाबालिग को महाराष्ट्र में कई स्थानों पर ले जाया गया, जहां उसके साथ बलात्कार कर दो दिन बाद उसे आगरा के एक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया गया जहां से वह किसी प्रकार अपने घर पहुंची और आप बीती बताई। इसी बीच घटनावाले ही दिन बालिका की मां तहरीर लेकर थाने पहुंची पर उसकी तहरीर नहीं ली गई। बेटी की आपबीती के आधार पर पुलिस ने 31 अगस्त 2019 को उसकी रिपोर्ट भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366 और 376 एवं 3/4 पाॅक्सो ऐक्ट में लिखी गई।स्पेशल एडीजीसी पाॅक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने अदालत में आरोपी को निर्दोष साबित करने की कोशिश की और कहा कि उसका यह पहला अपराध है तथा देर से लिखी एफआईआर और पीड़िता के बयानो पर ही संशय पैदा करने की कोशिश की। स्पेशल एडीजीसी ने बचाव पक्ष की दलीलों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि भले ही यह आरोपी का पहला अपराध है किंतु उसका अपराध एक बहुत बड़ी सामाजिक बुराई है जो अक्षम्य है तथा इसके लिए अभियुक्त को कठोर कारावास दिया जाना चाहिए।उनका यह भी कहना था कि पीड़िता की मां तो उसी दिन तहरीर लेकर गई थी किंतु पुलिस ने उसे दर्ज नही किया तथा दो दिन बाद दर्ज किया। उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि पीड़िता की आयु 16 वर्ष से कम है अतः अभियुक्त को धारा 376 आईपीसी में कम से कम आजीवन कारावास दिया जाना चाहिए।
विशेष एडीजीसी के अनुसार विद्वान न्यायाधीश ने डाक्टरों की रिपोर्ट, पीड़िता के बयान आदि के आधार पर अभियुक्त राॅकी को 3/4 पाॅक्सो ऐक्ट के तहत 20 वर्ष के कारावास एवं 20 हजार का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया। अभियुक्त द्वारा जुर्माना न अदा करने पर उसे एक साल अतिरिक्त सजा भोगना होगा।धारा 366 आईपीसी के अन्तर्गत अभियुक्त को दस वर्ष का कठोर कारावास एवं दस हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न अदा करने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा, धारा 363 आईपीसी में 7 वर्ष का कठोर कारावास और पांच हजार का जुर्माना तथा जुर्माना न अदा करने पर तीन माह की अतिरिक्त सजा भोगने का आदेश दिया है।आदेश में पीड़िता को प्रतिकर दिलाने के लिए सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आदेश की एक प्रति भेजने का भी आदेश दिया गया है।

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