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संजीवनी

वे खत भेजकर हमें सिर्फ बहकाने आए,
हाथ मे किताबों में छुपे कुछ फूल पुराने आए।

दुनिया में बट गया उनका वक्त सारा,
हमारे हिस्से में सिर्फ चंद बहाने आए।

न वो आए ना उनका तसव्वुर आया,
हमारी खातिर कुछ नग्मे पुराने आए।

चांदनी से चमकीले थे वादे उनके,
वादों से कितने उनके दीवाने आए।

दर के पत्थर सा दिल है कठोर उनका,
झरोखे से हिलते पर्दे हमें रुलाने आए।

इश्क मोहब्बत शायरी सब बेमानी है,
गर्म हवा के झोंके हमें बस समझाने आए।

संजीव ठाकुर
रायपुर छत्तीसगढ़,
9009 415 415

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