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तो क्या रजिस्ट्री कार्यालय बैनामा धारको को किया गुमराह

मामला तमसा नदी की जद में आए आवास का

प्रदीप तिवारी
अंबेडकर नगर स्पष्ट आवाज ।  अकबरपुर बाढ़ की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित किया की नदी के दोनों छोर पर नगर पालिका कि क्षेत्र में 100 मीटर की रेंज में जो भी मकान बने हैं। उनको चिन्हित कर अतिक्रमण मुक्त किया जाए इसी के साथ कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि तालाब चारागाह पर अवैध कब्जे दारों को हटाकर अतिक्रमण मुक्त किया जाए ।

जिस पर शासन ने जिलाधिकारी को कोर्ट के आदेश को मानने के लिए पत्र लिखा जिस पर जिलाधिकारी सैमुअल पॉल एन ने शासन के निर्देश को पालन करते हुए सदर एसडीएम पवन जायसवाल को निर्देशित किया 1 हफ्ते के अंदर चिन्हांकन कर रिपोर्ट प्रेषित करें जिस पर सदर एसडीएम ने निर्देश को अमल में लेते हुए अकबरपुर नगर पालिका ईओ बीना सिंह से पत्राचार कर कार्यवाही की प्रक्रिया को शुरू कर अमल में लाया जाए जिसमें अकबरपुर नगर पालिका के कर्मियों ने जब चिन्हांकन की प्रक्रिया शुरू की तो इसकी जद में रेस्टोरेंट्स व्यवसायिक प्रतिष्ठान स्कूल व सैकड़ों आवासीय मकान आने से नगर वासियों में हड़कंप मच गया है सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब रजिस्ट्री कार्यालय यह जानता था नदी के किनारे सिर्फ कृषि ही की जा सकती है । तो आखिर किस सर्किल रेट पर जमीन का बैनामा करती चली गई कहीं ना कहीं देखा जाए तो उप निबंधक कार्यालय अपना राजस्व कोष बढ़ाने के लिए बैनामा धारकों को बलि का बकरा बना दिया। इसी प्रकार से अकबरपुर नगर पालिका भी अपना राजस्व कोष बढ़ाने के लिए भवन निर्माण के लिए नक्शा भी पास करती चली गई और अतिक्रमण करने के लिए खुली छूट दे दी इसी की आड़ में भू माफिया की बल्ले बल्ले हो गई और अवैध कब्जा करने मैं होड़ मच गई । इस अतिक्रमण में कहीं ना कहीं अहम भूमिका रजिस्ट्री कार्यालय से लेकर जिला प्रशासन का भी है अगर रजिस्ट्री कार्यालय प्लाट रेट पर बैनामा करने से मना कर देता तो आज बैनामा धारकों को यह दिन ना देखना पड़ता कहीं ना कहीं जिले के राजस्व कर्मियों द्वारा नदी के किनारे खतोनी धारक के जमीनों को कुटरचित ढंग से कागज में नवीन परती दिखलाते हुए खुद तो मालामाल हो गए तो वही बैनामा धारकों को फसा दिए मजे की बात यह है कि यह वाक्या नगर पालिका के नाक के नीचे होता रहा और जिला प्रशासन आंख मूंदकर सोती रही।

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