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तालिबान के साथ रिश्ते पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने जताई सहमति, कही ये बात

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने माना है कि देश में आतंक मचाने वाले तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ सरकार की बातचीत चल रही है और इसमें अफगान तालिबान मदद कर रहा है। तालिबान के साथ अपने रिश्तों का इमरान खान ने खुलासा कर दिया है कि उसने अफगानिस्तान में तालिबान की मदद वहां काबिज होने में की जिसके बदले में अब तालिबान उसका साथ दे रहा है।

इमरान खान ने कहा कि पाकिस्तानी तालिबानी समूह हमारी सरकार से शांति और समझौते के बारे में बात करना चाहते हैं। तहरीक-ए-तालिबान से बात करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि टीटीपी के कई हिस्से हैं और उनमें से कुछ के साथ बात की जा रही है। उन्होंने यह नहीं बताया कि आत्मसमर्पण की बात की जा रही है या नहीं लेकिन कहा कि सुलह की बात चल रही है।

इमरान ने साफ कहा कि टीटीपी से बातचीत अफगानिस्तान में हो रही है, तो उस आधार पर तालिबान मदद कर रहा है। उनसे सवाल किया गया कि टीटीपी के कुछ समूहों से बात चल रही है कि वे अपने हथियार डाल दें तो हम उन्हें माफ कर देंगे और वे आम नागरिक हो जाएंगे। उम्मीद है कि समझौता होगा।

पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को फिर से सत्ता पाने में हर संभव मदद की। अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ने की प्रक्रिया के दौरान ही तालिबान तेजी से एक-एक प्रांत पर कब्जा कर रहा था। आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के अधिकारी अफगान सेना को घेरने का प्लान बना रहे थे तो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी जमीन पर तालिबानी लड़ाकों के साथ मिलकर जंग लड़ रहे थे।

पाकिस्तान और तालिबान की दोस्ती उस वक्त और भी ज्यादा जाहिर हो गई जब आईएसआई चीफ फैज हमीद काबुल जा पहुंचे। इसके बाद पंजशीर पर हमला हुआ और अहमद मसूद और अमरुल्ला सालेह के देश छोड़ने की खबरें आने लगीं। दावा किया जाता है कि पाकिस्तान की इंटेलिजेंस की मदद से पंजशीर पर हमला किया गया था और इसके बदले में तालिबान ने पाकिस्तान से टीटीपी को काबू में करने का वादा किया।

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