कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद राज्यभर में भड़की हिंसा, हत्या, लूट, दुष्कर्म, उत्पीड़न समेत अन्य अमानवीय घटनाओं की जांच अब सीबीआई करेगी। यह आदेश आज कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने हिंसा में पीड़ित लोगों को मुआवजा देना देने की भी आदेश दिए हैं।
गुरुवार को हाई कोर्ट में मुख्य कार्यकारी न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता में गठित पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया। हाई कोर्ट ने चुनाव के बाद हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश देते हुए कहा कि हिंसा के अलावा अन्य मामलों की जांच कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर की जाएगी। छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने के आदेश भी दिए गए हैं।
Constitutional obligations of the State do not get vested in the Election Commission during the process of elections: Calcutta High Court in its order on the alleged post-poll violence in West Bengal
— ANI (@ANI) August 19, 2021
अलग बेंच का गठन
पांच जजों की पीठ ने आदेश दिया है कि कोर्ट की निगरानी में जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। इसलिए इस मामले में रिपोर्ट जमा करने और अन्य अपडेट के लिए अलग डिविजन बेंच का गठन किया गया है। इसमें मामले की अगली सुनवाई आवेदन रिपोर्ट जमा करने आदि की अगली प्रक्रिया होगी।
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में पक्षपात नहीं
इसके अलावा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दाखिल की गई रिपोर्ट को पश्चिम बंगाल सरकार ने हलफनामा देकर पक्षपातपूर्ण करार दिया था। इसपर पांच जजों की पीठ ने साफ किया कि आयोग की रिपोर्ट में किसी तरह का कोई पक्षपात नहीं है। कोर्ट ने सभी आरोपों की जांच की है।
पीड़ितों को देना होगा मुआवजा
कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को चुनाव बाद हुई हिंसा में पीड़ित लोगों को मुआवजा देना होगा। इसके अलावा तृणमूल के दो नेताओं ज्योतिप्रिय मल्लिक और पार्थ भौमिक को मानवाधिकार आयोग ने कुख्यात अपराधी करार दिया था। इसके बाद दोनों ने अलग से आवेदन देकर इस मामले में आपत्ति जताई थी और खुद को पार्टी बनाने का आग्रह किया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
हत्या-बलात्कार की जांच करेगी सीबीआई
कोर्ट ने साफ किया कि चुनाव के बाद हत्या, बलात्कार और अप्राकृतिक मौतों की जांच सीबीआई करेगी। इसको लेकर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा जो तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट जैसी छोटी-छोटी घटनाएं हुई हैं, उसकी जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) करेगा। इसकी अध्यक्षता तीन आईपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणवीर कुमार करेंगे। एसआईटी की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। वह रिपोर्ट भी छह महीने के भीतर जमा करनी होगी।
क्या है मामला
दरअसल 02 मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम आए थे, जिसके बाद राज्यभर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले हुए थे। हिंसा के बाद लगभग 17 हजार से अधिक लोग घर छोड़कर फरार हो गए थे और कथित तौर पर 100 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया है। सैकड़ों महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किए गए और करीब हर एक मामले में पुलिस ने कार्रवाई के बजाय शिकायत दर्ज करने में भी कोताही बरती। इसके बाद चुनावी हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए हाई कोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई थीं, जिसकी सुनवाई करते हुए पांच जजों की पीठ ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को राज्य में हिंसा की जांच और जमीनी स्थिति के आकलन के लिए टीम गठित करने का आदेश दिया था।
मानवाधिकार आयोग ने अपनी जांच पूरी कर उसकी रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा कराई थी। इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि राज्य में कानून का नहीं बल्कि सत्तारूढ़ पार्टी का शासन चल रहा है। सत्तारूढ़ पार्टी के संरक्षण में हिंसा हुई और प्रशासन निष्क्रिय बना रहा। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में घटनाओं की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की थी। इस मामले में 03 अगस्त को सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद फैसले का इंतजार किया जा रहा था।
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