Education news इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के प्राईवेट स्कूलों की फीस न बढ़ाए जाने के शासनादेश को चुनौती प्रकरण में राज्य सरकार को मामले में फ़िर से गौर करने को कहा है।अदालत ने सरकार से अपेक्षा की है कि 11 फरवरी के शासनादेश के प्रकाश में मामले पर पुनर्विचार किया जाये । इस प्रक्रिया में अभिभावकों की समिति की तरफ से भी अगर कोई आपत्तियाँ आएं तो उन पर भी विचार किया जाय ।यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने एसोसिएशन ऑफ़ प्राईवेट स्कूल्स ऑफ़ यूपी की याचिका पर दिया। इसमें राज्य सरकार के सात जनवरी के शासनादेश को चुनौती दी गई है। याची एसोसिएशन ने इसको संबंधित कानून की मंशा के खिलाफ बताते हुए इसे शैक्षिक संस्थानों के सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाला कहा।
याची के अधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने इस शासनादेश के तहत प्रदेश के प्राईवेट स्कूलों में पिछले दो साल की तरह इस वर्ष भी फीस बढ़ाने पर रोक लगा दी है, जिससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। उन्होने कहा कि कोरोना केसों के बढ़ने की आशंका में यह शासनादेश जारी हुआ था। जबकि अब 11 फरवरी के शासनादेश के तहत प्रतिबंधों में ढील दी गई है। जिससे समान्य जीवन पटरी पर आने का पता चलता है। नए शैक्षणिक सत्र, यानि कि 1 अप्रैल से, दो माह पहले, नए/ बढ़े फीस के ढांचे को अपलोड किया जाना है। ऐसे में राज्य सरकार को अपने निर्णय पर फ़िर से गौर करना चाहिए।उधर, सरकारी वकील ने मामले के खास पहलुओं पर सरकार से जानकारी लेने को कुछ समय देने का आग्रह किया। कोर्ट ने राज्य से अपेक्षा की है कि 11 फरवरी के शासनादेश के प्रकाश में मामले पर पुनर्विचार करे। यह भी कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में अभिभावकों की समिति की तरफ से भी अगर कोई आपत्तियाँ आएं तो उनपर भी विचार किया जाय। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को नियत की है।
More Stories
Congress party ने ब्राह्मणों का अपमान किया है, कांग्रेस का बायकॉट करेंगे: पं. सुरेश मिश्रा
कितने वर्षो पुराना है ज्योतिष
30 अप्रैल का सूर्य ग्रहण होगा खास जाने रोचक तथ्या