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इन लक्षणों को नजरअंदाज करने पर डेंगू हो सकता है खतरनाक, जानें बचाव

फर्रुखाबाद ‘डेंगू’ एक जानलेवा संक्रामक गम्भीर रोग है। कोविड-19 के संक्रमण काल में डेंगू से बचने के लिये हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है क्योंकि इसकी चपेट में आने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे कोविड-19 का संक्रमण होने की आशंका ज्यादा हो बढ़ सकती है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश चंद्रा का।

सीएमओ ने बताया कि डेंगू एडीज़ मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर के काटने के पाँच से छह दिन बाद डेंगू के लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। डेंगू के सबसे प्रमुख लक्षणों में से एक ‘हड्डियों का दर्द’ है। इस कारण से डेंगू को ‘हड्डी तोड़ बुखार’ के नाम से भी जाना जाता है। डेंगू, खासतौर पर बारिश के मौसम के दौरान और बाद में होता है क्योंकि इसी मौसम में एडीज़ मच्छरों को पनपने के लिए भरपूर पानी मिलता है। इस समय डेंगू तेजी से फैल रहा है लेकिन उससे डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि लोगों को सावधान और जागरूक रहने की आवश्यकता है।

सीएमओ ने बताया कि बुखार प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की जनपद स्तरीय रैपिड रिस्पांन्स टीम द्वारा सतत निगरानी रखते हुये निरोधात्मक कार्यवाही के साथ जनजागरूकता, स्वास्थ्य शिक्षा, सोर्स रिडक्शन, ज्वर पीड़ित मरीजो के रक्त नमूनों की जाँच, दवा आदि का वितरण, ब्लीचिंग पाउडर, नालियों में लार्वीसाडल छिड़काव किया जा रहा है।

सीएमओ ने कहा कि जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में डेंगू, मलेरिया और वायरल फीवर की जाँच निशुल्क की जाती है साथ ही गम्भीर रोगियों को भर्ती कर इलाज किया जाता है।

साथ ही कहा कि प्रत्येक राजस्व ग्राम के वीएचएसएनसी खाते में 10000 रुपये के राशि दी गयी है और उन्हे निर्देशित किया गया है कि एंटी लार्वीसाईड स्प्रे मशीन एवं ब्लीचिंग पाउडर इत्यादि क्रय कर अपने गाँव में एंटी लार्वा स्प्रे एवं साफ-सफाई की व्यवस्था सुदृढ़ करें।

संक्रामक रोगों के नोडल डॉ राजीव शाक्य  ने सभी निजी चिकित्सालयों से अपील की है कि डेंगू के संभावित मरीजों की सूचना जिला मलेरिया विभाग को अवश्य दें। डेंगू का पता लगाने के लिए एलाइजा जांच बेहद जरूरी है जिससे डेंगू की पहचान होती है। उन्होने कहा कि डेंगू की एलाइजा जाँच तिर्वा मेडिकल कालेज में होती है।

डेंगू के लक्षण

डॉ राजीव ने बताया कि डेंगू के लक्षणों में त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, प्लेटलेट्स कम होना, आंखों में दर्द, तेज़ बुखार, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, दस्त आदि। साथ ही कहा कि प्लेटलेट्स कम होने का मतलब डेंगू ही नहीं है इससे डरने की जरुरत नहीं है।

डेंगू से बचाव

डॉ  राजीव ने बताया कि दिन के समय मच्छरों को दूर रखने वाली क्रीम लगाएँ। पूरे शरीर को ढक कर रखने वाले कपड़े पहनें। मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के अंदर और आस-पास सफाई रखें। कूलर, गमले और टायर आदि में पानी न भरने दें और पानी के पात्रों को ढक कर रखें जल जमाव के स्थानों पर जला हुआ मोबी आयल  डालें।

डॉ राजीव ने जनपद के  सभी निजी चिकित्सकों से अपील की आप लोग डेंगू की पुष्टि तब तक न करें जब तक एलाइजा जाँच न हो जाये अन्यथा आप लोगों पर कार्यवाही भी हो सकती है। उन्होंने कहा 32 लोग डेंगू से और 68 मरीज मलेरिया से ग्रसित मिले जिनका इलाज किया गया जो अब स्वस्थ हैं।

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